प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 27 फरवरी 2017

- अध्यात्म के साथ विज्ञान के समन्वय से भारत को विश्व गुरू का दर्जा हासिल होगा - श्री श्री रविशंकर जी

- श्री श्री रविशंकर जी के विचारों से सम्पूर्ण विश्व में सहिष्णुता एवं परस्पर सम्मान का भाव संचारित एवं पोषित होगा - विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल

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आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर जी का उद्बोधन आज विधान सभा परिसर स्थित पं. श्यामाप्रसाद मुकर्जी प्रेक्षागृह में हुआ। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, मान. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव, मान. मंत्रीगण, मान. संसदीय सचिव, मान. विधायकगण, विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा, समाचार पत्रों के संपादकगण एवं वरिष्ठ प्रशासकीय अधिकारी एवं प्रबुद्ध नागरिकगण भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि - लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था विधायिका के माध्यम से हम सब जनकल्याण के कार्यों से संलग्न हैं। पूज्य श्री श्री रविशंकर जी से लोककल्याण और जनकल्याण के संदर्भ में हमें जो मार्गदर्शन प्राप्त होगा हम उसे अपने कार्य क्षेत्र में यथा संभव व्यवहारिक स्वरूप देने का संकल्प लें तो इस तरह के आयोजन अपनी सार्थकता को सिद्ध करेंगे। उन्होंने कहा कि - श्री श्री रविशंकर जी ने पूरे विश्व में इस तथ्य को स्थापित किया कि जीवन मात्र हृदय स्पंदन नहीं है, वरन् जीवन जीना एक कला है, यदि व्यक्ति अपने जीवन का एक आदर्श मानव के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास करेगा तो संपूर्ण विश्व में स्वमेव सहिष्णुता, परस्पर सम्मान का भाव संचारित एवं पोषित होगा।

इस अवसर पर उपस्थित जनों को अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में श्री श्री रविशंकर जी ने कहा कि - छत्तीसगढ़ में खनिज, वनस्पति एवं बेशकीमती जड़ी-बूटियों का खजाना है। उन्होंने कहा कि - नक्सलवादियों को हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहिए और उसके बाद अपने हक के बारे में सरकार से चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि - वे किसी पार्टी विशेष से नहीं जुड़े हैं वरन् योगी और आध्यात्मिक गुरू हैं जो समाज के सभी वर्गों के लिए होते हैं। उन्होंने कहा कि - अध्यात्म हमें जीवन से बांधकर रखता है। खुशी से इंसान में सृजनशीलता बढ़ती है एवं तनाव से इंसान विध्वसंक कार्य करता है, आपस में एक दूसरे पर अविश्वास सभी-समस्याओं की मूल जड़ है और समाज में विश्वास रखना केवल अध्यात्म से ही संभव है। शून्य और अनंत की खोज संपूर्ण विश्व को भारत की देन है इसलिए अध्यात्म के साथ विज्ञान का समन्वय भविष्य में भारत को विश्व गुरू का दर्जा दिलायेगा। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई की आज पूरे देश के आधे से अधिक युवा अवसाद में हैं ऐसी स्थिति में उन्हें कौशल विकास से जोड़कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिए।

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मान. मुख्यंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि - देश में परिवर्तन लाने के लिए सर्वप्रथम हमें अपने आप में परिवर्तन लाना होगा। श्री श्री रविशंकर जी ने लगभग 135 देशों में "वसुधैव कुटुम्बकम्" के संदेश का प्रचार प्रसार करते हुए अपने सरल एवं निश्चल व्यवहार से समाज एवं देश को नयी प्रेरणा दी है। छत्तीसगढ़ राज्य के साथ उनका विशेष लगाव रहा है, इसलिए उन्होंने बीजापुर जैसे सुदूर वनांचल में लोगों को अपने उद्बोधन से प्रेरणा दी है।

इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह एवं नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस. सिंहदेव ने श्री श्री रविशंकर जी का शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।