चतुर्थ विधानसभा का द्वितीय (मानसून) सत्र-जुलाई 2014

 

सत्र समापन के अवसर पर माननीय अध्यक्ष महोदय का उद्बोधन
( दिनांक 25 जुलाई, 2014 )

 

चतुर्थ विधान सभा के द्वितीय सत्र का आज अंतिम दिन है । मैं इस सत्र के समापन के अवसर पर सदन के नेता माननीय मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह, माननीय संसदीय कार्य मंत्री श्री अजय चन्द्राकर, माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री सिंहदेव एवं समस्त माननीय मंत्रियों तथा सदस्यों को धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ । आप सभी के सहयोग से सभा का यह सत्र सौहार्दपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हो रहा है। साथ ही आगामी सत्र के लिये अनिश्चितकाल हेतु स्थगित हो रहा है । मानसुन सत्र को सार्थक बनाने इन्द्रदेव ने भी कृपा की एवं कृषि प्रधान प्रदेश में पर्याप्त वर्षा हुई एवं किसानों तथा कृषि पर आश्रित मजदूरों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरी ।

यह सत्र शासकीय कार्यों के सम्पादन के लिये संवैधानिक प्रावधानों के तहत् माननीय राज्यपाल महोदय ने आहूत किया था तथा शासन के समक्ष प्रस्तावित कार्य जैसे - प्रथम अनुपूरक अनुमान पर विचार एवं पारण तथा 8 शासकीय विधेयक जो सभा में प्रस्तुत किये गए जिन्हें सभा ने पारित भी किया । इस सत्र में माननीय सदस्यों ने प्रश्नों, ध्यानाकर्षण की सूचनाओं, स्थगन के प्रस्ताव पर नियमों के अंतर्गत चर्चा आदि के माध्यम से सभा के प्रति सरकार की जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया ।

यद्यपि यह सत्र 5 दिवसीय था किन्तु इस 5 दिवसीय सत्र में भी 759 प्रश्न, 54 ध्यानाकर्षण की सूचनाओं एवं अन्य माध्यमों से पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सदस्यों ने जनहित के विषयों की ओर सदन में शासन का ध्यान आकर्षित करने व सभा के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।

चतुर्थ विधान सभा का यह द्वितीय सत्र इस बात के लिये भी हमेशा याद रखा जायेगा कि राजनीतिक क्रियाकलापों की छाया से सदन की बैठकें दो दिनों तक प्रभावित रहीं । सामान्यतः राजनीतिक रूप से प्रतिपक्ष के द्वारा सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है किन्तु प्रतिपक्ष ने इस बार अध्यक्ष के विरूद्ध पद से हटाने का संकल्प प्रस्तुत किया, जो संवैधानिक प्रावधानों के अन्तर्गत विचार योग्य नहीं था तथा व्यपगत हो गया, पश्चात् माननीय सदस्यों ने संसदीय व्यवस्था के प्रति अपनी आस्था को संसदीय कार्यों को रूचि लेकर सम्पादित कर पुष्ट किया ।

मैं संकल्प लाने अथवा नहीं लाने के संबंध में किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहता, किन्तु यह अवश्य कहना चाहता हूँ कि आसंदी पर विराजमान व्यक्ति को उनके पद से हटाने के संबंध में संकल्प का प्रावधान संविधान में उल्लेखित है व इसका आशय सभा से संबंधित कार्यों के निष्पादन में निष्पक्षता से कार्य नहीं करने के आधार पर लाया जाता है अथवा उनके अध्यक्षीय कार्यकाल के विषयों को आधार बनाकर ।

अध्यक्ष के पद को राजनीतिक क्रियाकलापों का लक्ष्य बनाना कहाँ तक उचित है, यह विचार का प्रश्न है ? क्या हमें अध्यक्ष के पद को दलगत राजनीति से पृथक नहीं रखना चाहिये ? यह मैं माननीय सदस्यों के विवेक पर छोड़ता हूँ । यद्यपि उक्त संबंध में सदन में मामले का पटाक्षेप हो चुका है, किन्तु मैं पुनः दुहराना समीचीन समझता हूँ कि अध्यक्ष का पद धारित करते ही किसी भी माननीय सदस्य को प्राथमिक रूप से अपने दल की गतिविधियों से अपने आपको पृथक करते हुये संवैधानिक पद की मर्यादा में रहकर कार्य करना होता है ।

मैंने यह प्रयास किया है कि अध्यक्ष का पद धारित करने के पश्चात् मैं दिन-प्रति-दिन के राजनीतिक क्रियाकलापों से अपने आपको पृथक रखूं । राजनैतिक उद्देश्य से सभा के बाहर व अन्दर अध्यक्ष के पद धारित व्यक्ति के ऊपर अवांछित टीका- टिप्पणी करना कहाँ तक उचित है ? यह बिन्दु भी माननीय सदस्यों के विचार के लिये छोड़ता हूँ।

मैं इस अवसर पर यह अवश्य कहना चाहूँगा कि छत्तीसगढ़ की विधान सभा ने अपने गठन के दिनांक से संसदीय मूल्यों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, उनको निरंतर बनाये रखते हुये संसदीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने का हम सबका नैतिक दायित्व है और हम सब यदि संसदीय परम्पराओं एवं प्रक्रियाओं के प्रति अधिक गंभीर होंगे तो आने वाली पीढ़ी के लिये प्रेरणादायी होगा ।

अब मैं आपको इस सत्र में सम्पादित हुये संसदीय कार्यों के संक्षेप में सांख्यिकीय आंकड़ों से अवगत कराना चाहूंॅगा । इस सत्र में कुल 5 बैठकों में लगभग 21 घण्टे 56 मिनट चर्चा हुई । इन बैठकों में 52 प्रश्न सभा में पूछे गये, जिनके उत्तर शासन द्वारा दिये गये । इस प्रकार प्रति दिन प्रश्नों का औसत लगभग 10 प्रश्नों का रहा । इस सत्र में 574 तारांकित प्रश्न एवं 370 अतारांकित प्रश्नों की सूचनाएं प्राप्त र्हुइं। इस प्रकार कुल 944 प्रश्नों की सूचनायें प्राप्त हुईं । इस सत्र में ध्यानाकर्षण की कुल 209 सूचनायें प्राप्त हुईं, जिसमें 54 सूचनाएं ग्राह्य हुईं । इस सत्र में स्थगन प्रस्ताव की कुल 64 सूचनाएं प्राप्त हुई। शून्यकाल की 46 सूचनायें प्राप्त हुईं, जिसमें 37 सूचनाएं ग्राह्य और 9 सूचनाएं अग्राह्य रहीं। वर्तमान सत्र में 102 याचिकायें माननीय सदस्यों द्वारा प्रस्तुत की गई जिसमें 33 ग्राह्य, 40 अग्राह्य एवं 29 विचाराधीन हैं । माननीय सदस्यों द्वारा अशासकीय संकल्प की 7 सूचनाएं दी गईं, जिनमें 2 संकल्प ग्राह्य हुये तथा 1 संकल्प सदन में चर्चा उपरांत स्वीकृत हुआ एवं एक संकल्प वापस लिया गया । इस सत्र में विनियोग विधेयक सहित 8 विधेयकों की सूचनाएं प्राप्त हुईं तथा सभी विधेयक चर्चा उपरांत पारित हुये ।

सभा में प्रथम बार निर्वाचित सदस्यों ने अपने कार्यकरण एवं सभा की कार्यवाही में भागीदारी से परिपक्व संसदविद् होने के अनेक दृश्य परिलक्षित किये। मैं प्रथम बार निर्वाचित विधायकों को बधाई देता हूँ तथा अपेक्षा करता हूँ कि वे निरंतर संसदीय कार्य में रूचि लेकर प्रदेश के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करेंगे ।

वित्तीय कार्यों के अंतर्गत वर्ष 2014-15 के प्रथम अनुपूरक अनुमान पर 3 घण्टे 20 मिनट चर्चा हुई।

प्रदेश की सर्वोच्च प्रजातांत्रिक संस्था छत्तीसगढ़ विधान सभा के कार्यकरण से सीधे तौर पर आम जनता को अवगत कराने के उद्देश्य से सदन की कार्यवाही के अवलोकन हेतु दूरदर्शन से प्रश्नकाल का प्रसारण सायं 4.30 से 5.30 बजे तक करने के साथ, विद्यालयों/महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ माननीय सदस्यों के माध्यम से आम नागरिकों को कार्यवाही देखने का अवसर दिया जाता है । इस तारतम्य में 380 छात्र-छात्राओं ने इस सत्र में सदन की कार्यवाही का प्रत्यक्ष अवलोकन किया, साथ ही सदस्यों के माध्यम से भी लगभग 2500 नागरिकों ने भी कार्यवाही देखी।

मैं इस अवसर पर सभापति तालिका के माननीय सदस्यों के प्रति भी धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ , जिन्होंने सभा की कार्यवाही के संचालन में मुझे सहयोग दिया ।

मैं सम्माननीय पत्रकार साथियों, दूरदर्शन एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रति भी आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने सदन की कार्यवाही को बड़ी गंभीरता से प्रचार माध्यमों में प्रमुखता से स्थान देकर प्रदेश की जनता को सभा में सम्पादित कार्यवाही से अवगत कराया ।

सत्र के समापन के अवसर पर राज्य शासन के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों को बधाई देता हूँ तथा सुरक्षा व्यवस्था में संलग्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी बधाई देता हूँ, जिन्होंने सुदृढ़ सुरक्षा व्यवस्था पूरे सत्र में कायम रखी ।

मैं विधान सभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा सहित सचिवालय के समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भी प्रशंसा करता हूँ, जिन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण कुशलता एवं निष्ठा के साथ किया ।

मैं सदन को अवगत कराना चाहूँगा कि आज का दिन हमारे छत्तीसगढ़ राज्य के लिये विशेष महत्वपूर्ण रहा । आज अपरान्ह 12.50 बजे छत्तीसगढ़ के नवनियुक्त राज्यपाल माननीय श्री बलराम दास जी टंडन ने छत्तीसगढ़ के सातवें राज्यपाल के रूप में शपथ ली । राज्य के शीर्ष संवैधानिक गरिमामय पद पर पदारूढ़ होने पर मैं अपनी ओर से और सदन के सभी माननीय सदस्यों की ओर से उन्हें हार्दिक बधाई देता हूँ । हमें पूर्ण विश्वास है कि माननीय राज्यपाल जी के सुदीर्घ अनुभवों का लाभ विधान सभा को प्राप्त होगा और उनके मार्गदर्शन में हम सबके समन्वित प्रयास से छत्तीसगढ़ राज्य के विकास का संकल्प और अधिक मजबूत होगा ।

सत्र समापन के अवसर पर आगामी सत्र की संभावित तिथि घोषित करने की परम्परा रही है, तद्नुसार आगामी शीतकालीन सत्र नवम्बर माह के तृतीय सप्ताह में सम्भावित है।

हम सब संसदीय प्रणाली को सुदृढ़ करने एवं छत्तीसगढ़ के विकास के लिये कृत्य संकल्पित हों, इन्हीं भावनाओं के साथ ।

धन्यवाद ! जय हिन्द ! जय छत्तीसगढ !

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