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प्रश्न      

जब तक अध्यक्ष अन्यथा निदेश न दे प्रत्येक बैठक का पहला घंटा प्रश्न पूछने और उनके उत्तर देने के लिये उपलब्ध होगा.

जो सदस्य प्रश्न पूछना चाहे वह प्रश्न की सूचना सचिव को लिखित रूप में देगा तथा जब तक अध्यक्ष अन्यथा निदेश न दे, प्रश्न पूछने के लिये पूरे इक्कीस दिन की सूचना देगा और उसमें निम्न बातों का उल्लेख होगा :-
(क) प्रश्न जिस मंत्री को संबोधित हो, उसके पद का नाम, और
(ख) वह तिथि जिसको कि प्रश्न के उत्तर के लिये प्रश्न सूची में रखवाने का विचार है.

जब तक अध्यक्ष अन्यथा निदेश न दे, कोई प्रश्न उत्तर के लिये प्रश्न सूची में तब तक नहीं रखा जायेगा जब तक कि सचिव द्वारा ऐसे प्रश्न की सूचना शासन को देने के समय से बारह दिन बीत न गये हों

(1) कोई भी सदस्य किसी भी दिन के लिये मौखिक तथा लिखित उत्तर के लिये चार से अधिक प्रश्नों की सूचना न देगा जिनमें से किसी दो प्रश्नों पर जिनका मौखिक उत्तर चाहा जाये संबंधित सदस्य द्वारा तारांक लगाकर विभेद किया जा सकेगा, जिन प्रश्नों का इस प्रकार विभेद न किया जाये उन्हें लिखित उत्तर के लिये प्रश्न सूची में मुद्रित किया जायेगा.
(2) सूचना देने वाला सदस्य यह दर्शायेगा कि मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न किस क्रम में रखे जायें और यदि कोई ऐसा क्रम न दर्शाया जाये तो प्रश्न मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न सूची में उस क्रम में रख दिये जायेंगे जिस समय क्रम में उनकी सूचनायें प्राप्त हुई हों

-प्रश्नों का उत्तर देने के लिये उपलब्ध समय ऐसे विभाग या विभागों से संबध्द प्रश्नों का उत्तर देने के लिये भिन्न-भिन्न दिनों में चक्रानुक्रम से उस प्रकार नियत किया जायेगा जैसा कि अध्यक्ष समय-समय पर उपबंधित करे और प्रत्येक ऐसे दिन जब तक कि अध्यक्ष संबध्द मंत्री की सम्मति से अन्यथा निर्देश न दे केवल ऐसे विभाग या विभागों से संबध्द प्रश्न ही जिनके लिये उस दिन समय नियत किया गया हो, मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न सूची में रखे जायेंगे.
-यदि किसी दिन मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न सूची में रखे गये किसी प्रश्न को उस दिन प्रश्नों का उत्तर देने के लिये उपलब्ध समय में उत्तर के लिये न पुकारा जाये तो वह प्रश्न लिखित उत्तर के लिए रखा गया समझा जायेगा और उसके संबंध में कोई अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछा जायेगा

-यदि किसी दिन मौखिक उत्तर की प्रश्न सूची में रखा गया कोई प्रश्न उत्तर के लिये पुकारा जाय और सदस्य या तो अपना प्रश्न पूछने के लिये किसी अन्य सदस्य को प्राधिकृत किये बिना अनुपस्थित रहे या यदि उपस्थित हो और अपना प्रश्न न पुकारे तो वह प्रश्न लिखित उत्तर के लिये रखा गया समझा जायेगा और कार्यवाहियों में पृथक शीर्षक के अन्तर्गत मुद्रित किया जायेगा(1) मंत्री को संबोधित प्रश्न लोक कार्य के संबंध में होगा जिससे वह पदेन संबध्द हो या शासन के संबंध में होगा जिसके लिये वह उत्तरदायी हो या लोक संबंध के विषय के बारे में होगा जो उसकी विशेष जानकारी में हो.
(2)
मंत्री को छोड़कर अन्य सदस्य को संबोधित प्रश्न किसी विधेयक, संकल्प अथवा सभा के कार्य से संबंधित अन्य विषय से संबंधित होगा, जिसके लिये वह सदस्य उत्तरदायी हो.
इस हेतु कि प्रश्न ग्राह्य हो सके वह निम्नलिखित शर्तों का समाधान करेगा, अर्थात् :-
(1) वह स्पष्टत: तथा ठीक-ठीक अभिव्यक्त किया जायेगा और उसमें साधारणतया दो सौ शब्दों से अधिक शब्द नहीं होंगे;
(2) उसमें कोई ऐसा नाम या कथन नहीं होगा जो प्रश्न को सुबोध बनाने के लिये सर्वथा आवश्यक न हो;
(3) यदि उसमें कोई कथन हो, तो सदस्य को उस कथन की परिशुध्दता के लिये उत्तरदायी होना पड़ेगा;
(4) उसमें प्रतर्क, अनुमान, व्यंगात्मक पद, अभ्यारोप, विशेषण या मानहानिकारक कथन नहीं होंगे;
(5) उसमें राय प्रकट करने या किसी अमूर्त विधि संबंधी प्रश्न या किसी काल्पनिक प्रस्थापन के समाधान के लिये नहीं पूछा जायेगा या सांविधिक नियम या उपविधि का वैधिक निर्वचन नहीं पूछा जायेगा;
(6) उसमें ऐसे किसी तथ्य विषय का उल्लेख न होगा, जिस पर न्यायिक विनिश्चय लम्बमान हो तथा उसमें न्यायालय के विनिश्चय पर अभ्युक्ति न की जायेगी;
(7) वह उस विषय से संबंधित नहीं होगा जो मुख्यतया राज्य शासन का विषय न हो;
(8) वह उस विषय से संबंधित नहीं होगा जो मुख्यतया किसी स्थानीय प्राधिकारी का विषय हो जब तक कि उसमें शासन द्वारा कोई हस्तक्षेप न हो चुका हो या हस्तक्षेप के लिये युक्तियुक्त आधार न हो;
(9) उसमें किसी व्यक्ति के पदेन या सार्वजनिक हैसियत के अतिरिक्त उसके चरित्र या आचरण के बारे में उल्लेख नहीं किया जायेगा;
(10) उसमें किसी ऐसे व्यक्ति के चरित्र या आचरण पर अभ्युक्ति नहीं की जायेगी जिसके आचरण पर मूल प्रस्ताव के द्वारा ही आपत्ति की जा सकती हो;
(11) उसमें तुच्छ विषय पर जानकारी नहीं मांगी जायेगी तथा वह अनिश्चित या अर्थहीन हो;
(12) उसमें साधारणतया विगत इतिहास के विषयों पर जानकारी नहीं मांगी जायेगी तथा उसमें ऐसी जानकारी नहीं मांगी जायेगी जो प्राप्त दस्तावेजों या साधारण निदेश ग्रन्थों में दी गई हो;
(13) वह राज्य शासन के अधीन सेवामुक्त किसी व्यक्ति से संबध्द सेवा विषय से संबंधित न होगा जब तक अध्यक्ष उस विषय को पर्याप्त महत्व का न समझे
;
(14) वह उन विषयों को आन्दोलित नहीं करेगा जिन पर प्रथमत: राज्य शासन को आवेदन पत्र करना चाहिये;
(15) उसका ऐसे विषयों से संबंध न होगा जो अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र के अन्तर्गत हो;
(16) उसमें ऐसी नीति के प्रश्न नहीं उठाये जायेंगे जो इतनी विस्तीर्ण हो कि प्रश्न के उत्तर की सीमा के भीतर न आ सके;
(17) उसमें ऐसे प्रश्नों की सारत: पुनरुक्ति नहीं की जायेगी जिनके उत्तर पहिले दिये जा चुके हों या जिनका उत्तर देना अस्वीकार कर दिया गया हो;
(18) जब प्रश्न की रचना समाचार पत्र में प्रकाशित संवाद का निर्देश करते हुये की जाय तब उस प्रश्न में उस विषय का स्पष्ट उल्लेख होगा जिस पर जानकारी मांगी गई हो और उसमें केवल समाचार संवाद की सत्यता के बारे में नहीं पूछा जायेगा;
(19) उसमें साधारणतया ऐसे विषयों के बारे में नहीं पूछा जायेगा जो न्यायिक या अर्ध्द न्यायिक कृत्य करने वाले किसी सांविधिक न्यायाधिकरण या सांविधिक प्राधिकारी के या किसी विषय की जांच या अनुसंधान करने के लिये नियुक्त किसी आयोग या जांच न्यायालय के सामने विचाराधीन हो;
(20)
वह परिणामत: संक्षिप्त भाषण नहीं होगा या जानकारी देने तक सीमित नहीं होगा और उसकी रचना इस प्रकार नहीं की जायेगी कि वह स्वयं अपना उत्तर सुझाये या विशिष्ट दृष्टिकोण व्यक्त करे, और
(21) उसमें सुझाव करने का अभिप्राय न होगा.
जिन विषयों पर भारत सरकार और राज्य शासन के बी
च वाद विवाद चल रहा हो या चल चुका हो, उनके बारे में तथ्य विषयों को छोड़कर कोई प्रश्न नहीं पूछा जायेगा और उत्तर तथ्य कथन तक ही सीमित होगा

-अध्यक्ष विनिश्चित करेगा कि कोई प्रश्न या उसका कोई भाग इन नियमों के अधीन ग्राह्य है अथवा नहीं और वह प्रश्न या उसके किसी भाग को अस्वीकृत कर सकेगा जिससे उसकी राय में प्रश्न पूछने के अधिकार का दुरूपयोग या इन नियमों का उल्लंघन होता हो :
परन्तु वह उसके रूप में संशोधन भी कर सकेगा और संबंधित सदस्य को उसे संशोधित करने का अवसर दे सकेगा

-यदि अध्यक्ष की राय में कोई प्रश्न या प्रश्नों का वर्ग ऐसे स्वरूप का है जिसका लिखित उत्तर देना अधिक उचित होगा तो अध्यक्ष निर्देश दे सकेगा कि ऐसा प्रश्न, प्रश्न-सूची में लिखित उत्तर के लिये रख दिया जाये :
परन्तु अध्यक्ष, यदि ठीक समझे तो, मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न की सूचना देने वाले सदस्य से मौखिक उत्तर चाहने के कारणों को संक्षेप में बताने के लिये कह सकेगा और उन पर विचार करने के बाद निर्देश दे सकेगा कि प्रश्न, प्रश्न-सूची में लिखित
उत्तर के लिये सम्मिलित किया जाये.

-(1) यदि अध्यक्ष की राय में किसी प्रश्न में जिसकी सूचना सदस्य से प्राप्त हुई हो, रूप भेद करना या उसको पृथक प्रश्नों में विभाजित करना आवश्यक हो या दो या अधिक प्रश्नों को एक ही प्रश्न में एकत्रित करना आवश्यक हो तो अध्यक्ष आवश्यक रूप भेदों के साथ उस प्रश्न को स्वीकार कर सकेगा या उस प्रश्न को विभाजित कर सकेगा या सुसंगत प्रश्नों को एक में समेकित कर सकेगा.
(2) प्रश्न की उचित स्वीकृति के प्रयोजन के लिये अध्यक्ष प्रश्न की सूचना देने वाले सदस्य से अपेक्षा कर सकेगा कि वह ऐसी जानकारी या स्पष्टीकरण प्रस्तुत करे जैसा कि आवश्यक समझा जाये और तदुपरान्त प्रश्न की सूचना उस तिथि को दी गई समझी जावेगी जिसको ऐसी जानकारी या स्पष्टीकरण अध्यक्ष के कार्यालय में प्राप्त हो.
(3) अध्यक्ष, शासन से भी ऐसी जानकारी की अपेक्षा कर सकेगा जैसी कि प्रश्न की ग्राह्यता का विनिश्चय करने के लिये आवश्यक समझी जाय और ऐसी जानकारी तुरन्त दी जायेगी.
कोई सदस्य उस बैठक के पहले, जिसके लिये उसका प्रश्न सूची में रखा गया है, किसी भी समय सूचना देकर अपने प्रश्न को वापस ले सकेगा या उसे सूचना में उल्लिखित किसी बाद के दिन के लिये स्थगित करा सकेगा और बाद के ऐसे दिन वह प्रश्न नियम 32 के उपबन्धों के अधीन रहते हुए सूची में उन सब प्रश्नों के बाद रखा जायेगा जो इस तरह स्थगित न किये गये हों :
परन्तु स्थगित किया गया कोई प्रश्न सूची में तब तक नहीं रखा जायेगा जब तक कि सचिव को स्थगन की सूचना प्राप्त हुए पूरे दो दिन समाप्त न हो गये हों.
-जब किसी सदस्य से किसी प्रश्न की सूचना के संबंध में कुछ पूछा जाये और कोई उत्तर न मिले या उससे उत्तर इतनी देर से मिले कि अध्यक्ष उस पर विचार न कर सके और प्रश्न ग्राह्य होने पर सूचित तिथि को प्रश्न सूची में न रखा जा सके तो ऐसी सूचना व्यपगत समझी जायेगी.
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(1) प्रश्न पूछने का समय आने पर अध्यक्ष प्रत्येक ऐसे सदस्य को जिसके नाम में प्रश्न सूची में कोई प्रश्न हो क्रमवार पुकारेगा.
(2) इस प्रकार पुकारा गया सदस्य अपने स्थान पर खड़ा होगा और जब तक यह न कहे कि अपने नाम में रखे हुए प्रश्न को पूछने का उसका विचार नहीं है, वह उस प्रश्न को प्रश्न सूची में उसके क्रमांक से पूछेगा.
-यदि उस समय, जबकि प्रश्न पुकारा जाय, वह सदस्य अनुपस्थित हो जिसके नाम पर वह प्रश्न हो, तो उसके द्वारा प्राधिकृत कोई अन्य सदस्य, यदि अध्यक्ष अनुज्ञा दे उस प्रश्न को पूछ सकेगा.
(1) जिस प्रश्न की सूचना दी गई हो वह प्रश्न या सदस्यों को वितरित किसी दिन की प्रश्नोत्तर सूची में सम्मिलित कोई प्रश्न और उत्तर तब तक प्रकाशित नहीं किया जायेगा जब तक कि उन प्रश्नों का उत्तर न दे दिया जाय.
(2) यदि सभा की बैठक निरस्त होने के कारण या कोई भी कार्य संपादित किये बिना उसके स्थगित हो जाने के कारण प्रश्नों का घण्टा निकाल दिया जाये, तो उस दिन के लिये प्रश्नों की सूची में दर्ज समस्त प्रश्न तारांकित तथा अतारांकित आगामी बैठक के लिये अतारांकित प्रश्न समझे जायेंगे और आगामी दिन की कार्यवाहियों में उनके उत्तर सहित मुद्रित किये जायेंगे.
(3) जब बैठक से प्रश्नों का घण्टा निकाल दिया जाये किन्तु स्वयं उस बैठक को निरस्त न किया गया हो तब समस्त तारांकित प्रश्न और उनके अतारांकित प्रश्नों के उत्तरों सहित, यदि कोई हो, उस दिन की कार्यवाहियों में मुद्रित किये जायेंगे.
-
(1) किसी भी दिन की प्रश्नोत्तर सूची सामान्यत: उस दिन से एक दिन पहले सदस्यों के अवलोकनार्थ उपलब्ध करा दी जायेगी जिस दिन ऐसी सूची का उत्तर सभा में दिया जाना है.
(2) प्रत्येक दिन की प्रश्नोत्तर सूची के तारांकित भाग में पच्चीस प्रश्नों से अधिक तारांकित प्रश्न सम्मिलित नहीं किये जायेंगे. पच्चीस से अधिक तारांकित प्रश्नों को अतारांकित प्रश्नों के रूप में परिवर्तित करके तथा एक पृथक शीर्ष के अन्तर्गत उस दिन के अतारांकित प्रश्नों के पहले मुद्रित किया जायेगा.
(3) सर्वप्रथम प्रत्येक दिन की प्रश्नोत्तर सूची के तारांकित भाग में किसी भी एक सदस्य का एक तारांकित प्रश्न से अधिक सम्मिलित नहीं किया जायेगा. प्रश्नों की प्राथमिकता प्रश्नों के उस क्रम अनुसार रखी जायेगी जिस क्रम में सदस्यों के प्रश्न उस दिन की प्रश्नों की शलाका में निकले होंगे. ऐसी स्थिति में जब कि तारांकित भाग के प्रथम चक्र में प्रश्नों की कुल संख्या पच्चीस से कम होती हो तब अन्य सदस्यों का दूसरा प्रश्न उनके प्रश्नों के क्रमानुसार सम्मिलित किया जायेगा जिससे कि तारांकित प्रश्नों की संख्या पच्चीस तक पहुंच जाय.
(4) ऐसी स्थिति में जब किसी प्रश्नोत्तर सूची का कोई तारांकित प्रश्न किसी अन्य तिथि की प्रश्नोत्तर सूची के लिये स्थानांतरित या स्थगित होता है तो उस दिन की प्रश्नोत्तर सूची के तारांकित भाग के प्रश्नों की संख्या पच्चीस से उतनी अधिक हो सकती है जितने प्रश्न इस प्रकार स्थानांतरित अथवा स्थगित हुए हों.
(5) उस दिन की सूची में दर्ज तारांकित प्रश्नों के लिये, उपलब्ध समय के भीतर, अध्यक्ष उस क्रम से पुकारेगा जिस क्रम से सूची में रखे गये हों.
ग्राह्यता और प्रश्नों और अनुपूरक प्रश्नों के पूछने और उत्तर देने के लिये अध्यक्ष विनियम बना सकेगा.
अध्यक्ष के तारांकित प्रश्न पुकारने के बाद कोई भी सदस्य किसी ऐसे तथ्य विषय के अग्रेतर स्पष्टीकरण के लिये
जिसके बारे में उत्तर दिया गया है, अनुपूरक प्रश्न पूछ सकेगा :
परन्तु किसी भी प्रश्न के ऐसे अनुपूरक प्रश्नों की संख्या 3 से अधिक न होगी, जब तक कि अध्यक्ष इसके लिये अनुमति न दे दें.
(2) >अध्यक्ष कोई अनुपूरक प्रश्न पूछने की अनुमति नहीं देगा यदि उसकी राय में उससे प्रश्नों संबंधी नियम भंग होते हों या यदि उसी प्रश्न के बारे में पर्याप्त युक्तियुक्त संख्या में अनुपूरक प्रश्न पहले ही पूछे जा चुके हों.
(3) उस दिन की सूची में सम्मिलित अतारांकित प्रश्नोत्तर पुकारे नहीं जायेंगे किन्तु वे अतारांकित शीर्षक के अन्तर्गत कार्यवाहियों में मुद्रित किये जायेंगे.
लोक महत्व के विषय के संबंध में कोई प्रश्न पूरे इक्कीस दिन से कम की सूचना पर भी पूछा जा सकेगा और यदि अध्यक्ष की यह राय हो कि प्रश्न अविलम्बनीय प्रकार का है तो यह निदेश दे सकेगा कि सम्बन्धित मंत्री से पूछताछ की जाये कि वह उत्तर देने की स्थिति में है या नहीं और यदि है तो किस तिथि को.

(2) यदि संबंधित मंत्री उत्तर देने के लिये सहमत हो, तो ऐसे प्रश्न का उत्तर उसके द्वारा दर्शाये गये दिन को दिया जायेगा और वह प्रश्न मौखिक उत्तर के लिये प्रश्न-सूची में दिये गये प्रश्नों के निपटाये जाने के तुरन्त पश्चात पुकारा जायेगा.
(3) यदि मंत्री अल्प सूचना पर प्रश्न का उत्तर देने में असमर्थ हो और अध्यक्ष की यह राय हो कि प्रश्न इतना पर्याप्त लोक महत्व का है कि सभा में उसका मौखिक उत्तर दिया जाना चाहिये तो वह निदेश दे सकेगा कि प्रश्न उस दिन की प्रश्न सूची में प्रथम प्रश्न के रूप में रखा जाये, जिस दिन कि नियम 29 के अधीन उसका उत्तर दिया जा सकता हो :
परन्तु किसी एक दिन की प्रश्न सूची में ऐसे एक से अधिक प्रश्न को प्रथम पूर्ववर्तिता प्रदान नहीं की जायेगी.
(4) जब दो या अधिक सदस्य सारत: एक ही विषय पर अल्प सूचना प्रश्न रखें और उनमें से एक प्रश्न अल्प सूचना पर उत्तर के लिये स्वीकार कर लिया जाये तो अन्य सदस्यों के नाम भी उस सदस्य के नाम के साथ रख दिये जायेंगे जिसका प्रश्न
उत्तर के लिये स्वीकार कर लिया गया हो :
परन्तु अध्यक्ष यह निदेश दे सकेगा कि सब सूचनाओं को एक ही सूचना में समेकित कर दिया जाय
, यदि उसकी राय में एक ही स्वयंपूर्ण ऐसा प्रश्न तैयार करना वांछनीय हो, जिसमें सदस्यों द्वारा उठाई गयी सब महत्वपूर्ण बातें आ जायें और तब मंत्री उस समेकित प्रश्न का उत्तर देगा :
परन्तु यह और भी कि समेकित प्रश्न की अवस्था में सभी संबंधित सदस्यों के नाम साथ-साथ दिये जा सकेंगे और उनके नाम उनकी सूचना के पूर्ववर्तिता के क्रम में प्रश्न के सामने दिखाये जा सकेंगे.
(5) यदि कोई सदस्य किसी प्रश्न का मौखिक उत्तर अल्प सूचना पर चाहे तो वह संक्षेप में अल्प सूचना पर प्रश्न पूछने का कारण बतायेगा. यदि प्रश्न की सूचना में कोई कारण न दिये हों, तो प्रश्न सदस्य को लौटा दिया जायेगा.
(6) यदि किसी सदस्य ने प्रश्न की सूचना दी हो तो वह उस समय प्रश्न के लिये अपने स्थान पर होगा, जब अध्यक्ष द्वारा पुकारा जाये और संबंधित मंत्री तुरन्त उत्तर देगा परन्तु जब कोई प्रश्न एक से अधिक सदस्यों के नाम में दिखाया गया हो तो अध्यक्ष प्रथम सदस्य का नाम या उसकी अनुपस्थिति में कोई अन्य नाम पुकारेगा.
(7) अन्य प्रकरणों में, अल्प सूचना प्रश्नों के लिये प्रक्रिया वही होगी जो ऐसे रूप भेदों के साथ, जो अध्यक्ष आवश्यक या सुविधाजनक समझें, मौखिक उत्तर के लिये साधारण प्रश्नों के लिये है.
जानकारी प्राप्त न होने के कारण जिन प्रश्नों का पूर्ण उत्तर नियत तिथि को न दिया गया हो, उन समस्त प्रश्नों के उत्तरों को अगले सत्र के प्रथम दिन पटल पर रखा जायेगा :
परन्तु ऐसे प्रश्नों के उत्तर पटल पर रखना आवश्यक न होगा जो सभा के विघटन के ठीक पूर्व के सत्र में पूछे गये थे, चाहे ऐसा विघटन अवधि की समाप्ति पर या अन्यथा हुआ हो.