प्रेस विज्ञप्ति |
||||
दिनांक 29 जून 2016 |
||||
-सार्वजनिक उपक्रमों के कार्य-कलापों पर निगरानी रखना सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का प्रमुख कर्तव्य है-विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल. -विधानसभा की वर्ष 2016-17 के लिए गठित विधानसभा की सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति की प्रथम बैठक संपन्न. |
||||
छत्तीसगढ विधानसभा की वर्ष 2016-17 के लिए गठित सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति की प्रथम बैठक आज विधानसभा भवन स्थित मुख्य समिति कक्ष में संपन्न हुई। समिति की प्रथम बैठक में विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल विशेष रूप से उपस्थित थे। बैठक में समिति के सभापति श्री शिवरतन शर्मा एवं समिति के सदस्य श्री अवधेश सिंह चंदेल, श्री रामलाल चैहान, श्री अशोक साहू, श्री श्याम बिहारी जायसवाल, श्री मनोज सिंह मंडावी एवं विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा, वित्त विभाग के सचिव श्री अमित अग्रवाल एवं उप महालेखाकार छत्तीसगढ श्री के.साईं. शंकर भी उपस्थित थे। सरकारी उपक्रमो संबधी समिति की प्रथम बैठक को सम्बोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अगवाल ने कहा कि-संसदीय शासन प्रणाली में सभा समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। संसद एवं विधान मंडल के बहुत से कार्य लघु सदन के रूप में समितियों के माध्यम से किये जाते हैं। विधानसभा में 18 समितियां है, इनमें लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति एवं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति वित्तीय समितियां है। सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के माध्यम से विधायिका राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों के कार्यकलापों पर निगरानी रखती है। उन्होने कहा कि- यह समिति प्रमुखतः सरकारी उपक्रमों के लेखे एवं प्रतिवेदनों, भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक तथा सरकारी उपक्रमों की स्वायत्तता और कुशलता की जांच करती है। उन्होने कहा कि- सरकारी उपक्रमों पर विधायिका का नियंत्रण रखने तथा मितव्ययता के साथ जनहित में कार्य संचालित करने के लिए ही सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का गठन किया गया है। समिति इन निगम/ मंडलों के माध्यम से सार्वजनिक धन का उपयोग जनहित के कल्याणकारी कार्यो हेतु किया जा रहा है या नहीं इसका भी परीक्षण करती है। उन्होने विश्वास व्यक्त किया कि-समिति अधिक से अधिक बैठकें कर लंबित कंडिकाओं का परीक्षण शीघ्र कर सभा में अपने प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी।
समिति के सभापति श्री शिवरतन शर्मा ने कहा कि-सार्वजनिक उपक्रमों में शासन की बडी राशि का उपयोग होने के कारण यह आवश्यक समझा गया है कि सार्वजनिक उपक्रमों पर भी विधायिका का नियंत्रण रहे और ये मितव्ययिता के साथ जनहित के कार्य संचालित करे। सार्वजनिक धन एवं सम्पत्ति का सार्वजनिक हितों के संर्वधन एवं विभिन्न विकास कार्यो के लिए समुचित उपयोग किया जाये यह देखना ही समिति का मुख्य कार्य है। उन्होंने कहा कि समिति लघु सदन का रूप है एवं सामान्यतः इसे वही अधिकार प्राप्त हैं, जो सदन को प्राप्त हैं। उन्होने समिति की प्रथम बैठक में माननीय अध्यक्ष की उपस्थिति एवं उनके मार्गदर्शन के लिए उनके प्रति आभार ज्ञापित किया । |
||||