प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 28 अगस्त 2019

- छत्तीसगढ़ विधान सभा में "गर्भगृह में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन" के नियम की सभी ने खूब सराहना की

- छत्तीसगढ़ विधान सभा के इस नियम को पूरे देश की विधान मंडलों में लागू करने पर बनी सहमति

- विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक लोकसभा सचिवालय, दिल्ली में सम्पन्न

- छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत आज लोकसभा सचिवालय, दिल्ली द्वारा आयोजित विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक में सम्मिलित हुए। देश के सभी विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारी एवं विधान मंडलों के सचिव / प्रमुख सचिव भी  इसमें शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष मान. श्री ओम बिरला ने की।

पीठासीन अधिकारियों की बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुए विधान सभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि - छत्तीसगढ़ विधान सभा में "गर्भगृह में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन" का नियम लागू है और इससे मान. सदस्यों में आत्म अनुशासन की भावना का निरंतर विकास हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस नियम से सभा के सुचारू संचालन में सहायता प्राप्त होती है। विधान सभा अध्यक्ष डॉ. महंत ने बताया कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधान सभा में प्रश्नोत्तरी सूची एक दिन पूर्व मान. सदस्यों को वितरित कर दी जाती है और इसका क्रमिक विकास करते हुए इसे एक दिवस पूर्व विधान सभा की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया जाता है इससे मान. सदस्यों को अऩुपूरक प्रश्न पूछने में सुविधा हो जाती है। श्री महंत ने यह भी बताया कि - छत्तीसगढ़ की पंचम विधान सभा में 39 मान. सदस्य पहली बार चुनकर आये हैं, लेकिन उनका यह प्रयास रहा है कि सभी मान. सदस्यों को सभा में बोलने का पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाये।

 

विधान मंडलों के पीठासीन अधिकारियों की बैठक में छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा लागू नियम "गर्भगृह में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन" की सभी ने मुक्त कंठ से सराहना की एवं इस नियम को पूरे देश के विधान मंडलों में लागू करने पर बैठक में आम सहमति बनी। मध्य प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष मान. श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने कहा कि - छत्तीसगढ़ विधान सभा ने अल्प समय में ही संसदीय परम्पराओं के माध्यम से उच्च सोपानों को तय किया है इस बात को ध्यान में रखते हुए "गर्भगृह में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन" के इस नियम को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। बैठक में इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की गई कि छत्तीसगढ़ विधान सभा में विगत 19 वर्षों से इस नियम का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है एवं सभा की कार्यवाही सुचारू रूप से संचालित हो रही है।