प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 24 दिसम्बर 2016

 लंदन में आयोजित राष्ट्रकुल संसदीय सम्मेलन के अनुभव अविस्मरणीय - गौरीशंकर अग्रवाल

राष्ट्रकुल संसदीय संघ के 62वें सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के पश्चात् आज छत्तीसगढ़ विधान सभा के माननीय अध्यक्ष श्री गौरीशंकर जी अग्रवाल रायपुर पहुंचे।

प्रेस प्रतिनिधियों से चर्चा करते हुये श्री अग्रवाल ने राष्ट्रकुल संसदीय संघ के सम्मेलन के संबंध में संक्षेप में जानकारी दी :-

(1) राष्ट्रकुल संसदीय संघ का 62वॉ सम्मेलन दिनांक 11 दिसम्बर से 17 दिसम्बर, 2016 तक राष्ट्रकुल संसदीय संघ के मुख्यालय लंदन में आयोजित किया गया, जिसमें 400 सदस्य एवं विभिन्न देशों की संसद एवं विधान मण्डलों के सचिव सम्मिलित हुये।

(2) सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रकुल संसदीय संघ की सभापति श्रीमती शिरिन शर्मिन चौधरी (अध्यक्ष, बांग्लादेश) ने सभी संसदविदों से यह अनुरोध किया कि वैश्विक समस्याओं के हल के लिये हम सबको साथ मिलकर काम करना आवश्यक है ।

(3) सभापति ने राष्ट्रकुल संसदीय संघ के महत्व को प्रतिपादित करते हुये कहा कि राष्ट्रकुल संसदीय संघ एक ऐसा मंच है, जहॉं इंटर पार्लियामेन्ट्री संवाद होता है और विभिन्न देशों की विभिन्नता के बावजूद राष्ट्रकुल संसदीय संघ संसदीय प्रजातंत्र को मजबूत करने हेतु निरंतर कार्यरत है।

(4) राष्ट्रकुल संसदीय संघ के कुल 9 क्षेत्र - 1.अफ्रीका 2.एशिया 3.आस्ट्रेलिया 4.ब्रिटिश आइलेण्ड एण्ड मेडिटेरियन 5.कनाड़ा 6.केरेबियन 7. अमेरिकास् एण्ड एटलान्टिक  8.भारत  9.पेसिफिक एण्ड साउथ-ईस्ट एशिया के 52 देश जिसमें राष्ट्रीय, प्रादेशिक और क्षेत्रीय संसद सम्मिलित हैं, कुल 180 शाखाओं से गठित है।

(5) सम्मेलन में महिलाओं की राजनीति में भूमिका व उनके प्रतिनिधित्व को किस प्रकार से बढ़ाया जा सकता है? विषय पर अमेरिकास् एण्ड एटलान्टिक क्षेत्र का ’’हॉट टॉपिक’’ का आयोजन भी किया गया।

(6) राष्ट्रकुल संसदीय संघ द्वारा आरंभ किये गये इस नये कार्यक्रम ’’हॉट टॉपिक’’ के द्वारा न केवल राष्ट्रकुल संसदीय संघ के संसदविदों को एक मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है अपितु शिक्षाविदों, युवा छात्रों और सिविल सोसायटी जैसे संगठन को भी हिस्सा लेने का अवसर प्रदान किया जाता है।

(7) प्रासंगिक सतत विकास लक्ष्यों को लागू करना एवं नीतियों के पर्यवेक्षण में संसदविदों की भूमिका, विषय पर आयोजित कार्यशाला में भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुये छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्ष ने डिस्कसन लीडर के रूप में सम्बोधित किया।

इस कार्यशाला में विकास योजनाओं के सामयिक क्रियान्वयन में संसदविदों की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा में सतत् विकास के प्रासंगिक लक्ष्यों की सूक्ष्म निगरानी तथा निर्धारित समय-सीमा में उन लक्ष्यों की प्राप्ति संसदविदों द्वारा उन्हें उपलब्ध विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं के अंतर्गत सुनिश्चित की जा सकती है, पर जोर दिया।

कार्यशाला में बताया गया कि जनप्रतिनिधियों के लिए सतत् विकास के लक्ष्यों को लागू करना एवं नीतियों की निगरानी कर लक्ष्यों को प्राप्त करना, जहॉं एक ओर चुनौती है, वहीं इसे एक अवसर के रूप में भी देखना चाहिये। जनप्रतिनिधि जिस जनसमूह का नेतृत्व करते हैं उनका सार्थक, समावेशी, परिणाममूलक विकास सुनिश्चित हो, यह सभी जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए।

उक्त कार्यशाला में निम्नांकित बिन्दुओं पर अनुशंसायें की गईं :-

  • प्रभावी संसदीय निरीक्षण द्वारा सरकारों का सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि गुणवत्तापूर्ण हो, यह सुनिश्चित करना।

  • संसद में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना ताकि सामुदायिक संगठनों एवं विकसित नेटवर्क के माध्यम से लैंगिक समानता में सुधार लाकर लैंगिक हिंसा को कम किया जा सके।

  • राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में सतत् विकास लक्ष्यों की निगरानी का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर वर्ष 2030 तक इसे वास्तविक स्वरूप देना।

  • प्रत्येक राष्ट्रकुल संसद द्वारा समीक्षा तंत्र विकसित कर सतत् विकास लक्ष्यों के क्रियान्वयन की प्रगति पर प्रतिवेदन राष्ट्रकुल संसदीय संघ की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत करना।

  • राष्ट्रकुल संसदीय संघ द्वारा संसद में संवेदीकरण प्रसंस्करण तथा सतत् विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन पर संगोष्ठी का आयोजन करना।

उल्लेखनीय है कि लोक सभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, संसद के सत्र के कारण इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले सकी थी। फलस्वरूप उन्होंने इस प्रतिष्ठापूर्ण दायित्व के निर्वहन के लिये श्री गौरीशंकर अग्रवाल को भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में किसी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के अनुभव को उन्होंने अविस्मरणीय बताया।