प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 22 जनवरी 2016

-गांधी नगर (गुजरात) में भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 78वें सम्मेलन का लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन द्वारा उद्घाटन

- "विधानमण्डलों के प्रति जनमानस की बदलती धारणा एवं जनता का विश्वास सुदृढ़ करने में विधायिका की भूमिका"  विषय पर श्री गौरीशंकर अग्रवाल अध्यक्ष छ.ग. विधानसभा का उद्बोधन

- विधायिका के प्रति बदलती जनधारणा का प्रमुख कारण संसदीय दायित्वों से अधिक राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को महत्व देना है - विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल

 

गुजरात के गांधीनगर में आयोजित किये जा रहे भारत में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों के 78वें सम्मेलन का उद्घाटन मान. अध्यक्ष लोकसभा श्रीमती सुमित्रा महाजन के कर-कमलों से गुजरात विधान सभा भवन में हुआ। उद्घाटन सत्र में गुजरात राज्य की मुख्यमंत्री श्रीमती आनंदी बेन पटेल भी सम्मिलित हुई।

पीठासीन अधिकारियों के प्रथम सत्र हेतु निर्धारित विषय "विधान मंडलों के प्रति जन-सामान्य की बदलती धारणा : प्रजातांत्रिक संस्थानों में जनता का विश्वास और अधिक सुदृढ़ करने में विधायिका की भूमिका तथा अध्यक्षीय अनुसंधानात्मक पहल का प्रादुर्भाव" पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मान. अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधान सभा श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि विधायिका के प्रति बदलती जनधारणा के प्रमुख कारकों में सभा की कार्यवाही में सदस्यों का आचरण, सदस्यों द्वारा अनुशासन, मर्यादा का पालन न करना, सभा की कार्यवाही में निरंतर व्यवधान, सभा में सार्थक एवं परिणाम मूलक चर्चा का अभाव तथा सभा में सदस्यों द्वारा संसदीय दायित्वों से अधिक राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को महत्व देना है।

श्री अग्रवाल ने लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास सुदृढ़ करने में सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देकर कहा कि सभा में माननीय सदस्यों की नियमित उपस्थिति तथा जनहित से सम्बद्ध मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने और उनके सामयिक निराकरण से ही इन लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता का विश्वास मजबूत होगा।

अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ विधान सभा ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि सभा में मान. सदस्य विषय विशेष पर रचनात्मक सकारात्मक सुझाव दें, संशोधन दें एवं सत्तापक्ष उन सुझावों एवं संशोधनों को जनहित में यथासंभव स्वीकार करें तब जनता भी ऐसी सभा की कार्यवाही की प्रशंसा करती है।