प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 17 जुलाई, 2015

--पूर्व नेता प्रतिपक्ष, छत्तीसगढ विधानसभा श्री रविन्द्र चौबे ने ``सभा के सुचारू संचालन में सदन के नेता एवं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका’’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया

-पूर्व मंत्री एवं मान सदस्य, हिमाचल प्रदेश श्रीमती आशा कुमारी ने ``विधान मंडलीय विशेषाधिकार, शिष्टाचार एवं परिपाटियां’’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया
 

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प्रबोधन कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में "सभा के सुचारू संचालन में सदन के नेता एवं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका" विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष, छत्तीसगढ विधानसभा श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि-सदन का नेता एक महत्वपूर्ण संसदीय पदाधिकारी होता है। सदन की आंतरिक गतिविधियां एवं सभा के कार्य सदन के नेता में ही केन्द्रित होते हैं। सदन के नेता सदन की बैठक आहूत करने एवं उसके सत्रावसान् की तिथियों के संबंध में अपने प्रस्ताव मान. विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित करते हैं। सदन के नेता किसी सत्र में संपादित किये जाने वाले शासकीय कार्यों अर्थात विधेयकों, प्रस्तावों, सामान्य तथा विशिष्ट नीतियों पर चर्चा इत्यादि को निर्धारित करते हैं।

लोकतंत्र में विपक्ष की भी अहम् भूमिका होती है। एक स्वस्थ्य संवैधानिक एवं प्रभावी विपक्ष का अस्तित्व स्वयं सत्ता पक्ष के भी हित में होता है। सभा के सुचारू संचालन हेतु नेता प्रतिपक्ष को कुशल संसदविज्ञ होना आवश्यक है। सभा में जनआकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना नेता प्रतिपक्ष का प्रमुख कार्य होता है।

प्रबोधन कार्यक्रम के तृतीय सत्र में "विधान मंडलीय विशेषाधिकार, शिष्टाचार एवं परिपाटियां" विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए पूर्व मंत्री एवं मान. सदस्य, हिमाचल प्रदेश श्रीमती आशा कुमारी ने कहा कि-विशेषाधिकारों का मूल उद्देश्य विधान मंडल की कार्यवाहियों को सामान्य विधि की परिधि से बाहर करना और मान. सदस्यों को बिना किसी बाधा अथवा भय के उनके संसदीय दायित्वों और कर्तव्यों के प्रति क्रियाशील करना है। इन विशेषाधिकारों का आशय यह कदापि नहीं है कि विशेषाधिकारों के कारण सभा के सदस्य सामान्य कानूनों के लागू होने के मामले में साधारण नागरिकों से किसी भी प्रकार की भिन्न स्थिति रखते हैं, अर्थात सामान्य कानून मान. सदस्यों पर उसी प्रकार से लागू होते हैं जैसे कि आम जनता पर। सभा में वाक् स्वातंत्र्य के साथ-साथ सदन के प्राधिकार के अंतर्गत प्रकाशित किसी प्रतिवेदन या कार्यवाही के आधार पर न्यायालय में किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा सकती। उन्होने विशेषाधिकार भंग या अवमानना के संबंध में सदन की प्रक्रिया एवं दण्डित करने का अधिकार आदि की भी जानकारी माननीय सदस्यों को दी।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष मान. गौरीशंकर अग्रवाल, मान. संसदीय कार्यमंत्री श्री अजय चन्द्राकर एवं नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव ने पूर्व नेता प्रतिपक्ष, छत्तीसगढ विधानसभा श्री रविन्द्र चौबे एवं पूर्व मंत्री एवं मान. सदस्य, हिमाचल प्रदेश श्रीमती आशा कुमारी का शाल  श्रीफल से सम्मान किया एवं उन्हें प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया ।