प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 16 जुलाई, 2015

- प्रबोधन कार्यक्रम के प्रथम सत्र में बिहार विधानसभा के मान. अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी का "सदन में जनप्रतिनिधियों का आचरण एवं व्यवहार" विषय पर व्याख्यान.
- द्वितीय सत्र मे "प्रश्नकाल, कैसे जवाबदेह बनाएं सरकार को" विषय पर उत्तर प्रदेश विधानसभा के मान. अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने व्याख्यान प्रस्तुत किया.
- तृतीय सत्र में "लोक महत्व के विषय एवं नियमों के अंतर्गत प्रक्रियाएँ" विषय पर कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने व्याख्यान प्रस्तुत किया.

छत्तीसगढ विधानसभा सचिवालय में मान. सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के प्रथम सत्र में बिहार विधानसभा के मान. अध्यक्ष श्री उदय नारायण चौधरी ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

"सदन में जनप्रतिनिधियों का आचरण एवं व्यवहार" विषय पर व्याख्यान देते हुए बिहार विधानसभा के मान. अध्यक्ष मान. श्री उदय नारायण चौधरी ने कहा कि-संविधान निर्माण के बाद संसद, विधानमंडल का निर्माण और सदन संचालन के नियम बने। जनप्रतिनिधियों को सदन में तर्क और और तथ्य के साथ संसदीय मर्यादाओं का पालन करते हुए अपनी बात रखनी चाहिए। श्री चौधरी ने सदस्यों को संसदीय परम्पराओं एवं नियमों का पालन करते हुए जनहित के विषयों पर सभा में उठाने की सलाह देते हुए कहा कि सदस्यों के आचरण से आम जनता में उनकी उत्कृष्ट छवि निर्मित होना चाहिए। श्री चौधरी ने कहा कि-जनप्रतिनिधि मर्यादा में रहकर अपना आचरण एवं व्यवहार करें जिसमें कि उनका भी सम्मान बना रहे।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मान. अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने आज प्रबोधन सत्र के द्वितीय सत्र में "प्रश्नकाल, कैसे जवाबदेह बनाएं सरकार को" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

अपने व्याख्यान में मान. श्री माता प्रसाद पाण्डेय ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रणाली में संसदीय प्रश्न कार्यपालिका की गतिविधियों पर विधायिका द्वारा निगरानी रखने का एक महत्वपूर्ण साधन होता है। प्रश्नकाल के माध्यम से मान. सदस्य सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं। 

प्रश्नकाल को और अधिक प्रभावी बनाने के उपाये बताते हुए उन्होने कहा कि-मान. सदस्यों को संयमित एवं संतुलित आचरण से सदन में उपस्थित रहकर सारगर्भित प्रश्न अथवा अनुपूरक प्रश्न पूछकर प्रश्नकाल की गरिमा बनाये रखना चाहिए। प्रश्न पूछने का उद्देश्य सूचना प्राप्त करना होना चाहिए। दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर सभी राजनीतिक दलों को प्रश्नकाल को और अधिक प्रभावी और व्यवधान रहित बनाने के लिए संकल्प लेना चाहिए। जिससे संसदीय प्रणाली में प्रश्नकाल की मूल भावना को और अधिक सृद्ढ बनाया जा सके ।

तृतीय सत्र में "लोक महत्व के विषय एवं नियमों के अंतर्गत प्रक्रियाएँ" विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि-प्रश्नकाल (तारांकित एवं अतारांकित प्रश्न), अल्प सूचना प्रश्न, ध्यानाकर्षण, स्थगन, याचिकाएं, शून्यकाल की सूचना, संकल्प, प्रस्ताव, आधे घंटे की चर्चा, अविश्वास प्रस्ताव एवं अशासकीय विधेयकों के माध्यम से मान. सदस्य लोक महत्व के विषय सदन में उठाकर सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि मान. सदस्य संसदीय ज्ञान में पारंगत होना चाहते हैं तो उन्हें विधानसभा की ज्यादा से ज्यादा कार्यवाहियों में उपस्थित होना चाहिए तथा नियमों एवं प्रक्रियाओं का अध्ययन करना चाहिए।

इस अवसर पर मान. विधायकों ने विषय विशेषज्ञों से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी किया।

छत्तीसगढ विधानसभा अध्यक्ष मान. श्री गौरीशंकर अग्रवाल एवं नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव ने बिहार विधानसभा अध्यक्ष मान. श्री उदय नारायण चौधरी, उत्तर प्रदेश विधानसभा के मान. अध्यक्ष श्री माता प्रसाद पाण्डे एवं कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल को शाल श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह, भेंट कर सम्मानित किया । इस अवसर पर छत्तीसगढ विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा भी उपस्थित थे ।