प्रेस विज्ञप्ति |
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दिनांक 16 जुलाई, 2015 |
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- छत्तीसगढ़ विधानसभा के "गर्भगृह
में प्रवेश पर स्वमेव निलंबन" नियम को लोकसभा
में भी लागू करने पर विचार किया जायेगा - मान. लोकसभा अध्यक्ष मान. श्रीमती
सुमित्रा महाजन |
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छत्तीसगढ विधानसभा में मान. सदस्यों के दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम का शुभारम्भ आज विधानसभा परिसर स्थित नवीन समिति कक्ष में मान. लोकसभा अध्यक्ष मान. श्रीमती सुमित्रा महाजन ने किया । इस अवसर पर मान. विधानसभा अध्यक्ष मान. श्री गौरीशंकर अग्रवाल, मान. मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष मान. श्री माता प्रसाद पाण्डेय, संसदीय कार्यमंत्री श्री अजय चन्द्राकर, मान. नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव, मान. मंत्रीगण, मान. संसदीय सचिव, मान. विधायकगण एवं विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा उपस्थित थे। मान. लोकसभा अध्यक्ष मान. श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कार्यक्रम के शुभारम्भ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया । इसके पूर्व विधानसभा परिसर पहुंचने पर उन्हें "गार्ड ऑफ आनर" दिया गया। मान. श्रीमती सुमित्रा महाजन ने परेड का निरीक्षण किया एवं सलामी ली। उन्होने विधानसभा के सभा भवन का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर लोक सभा अध्यक्ष मान. श्रीमती सुमित्रा महाजन के साथ मान. सदस्यों का समूह छाया चित्र भी हुआ। प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर मान. लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि- छत्तीसगढ़ अपने नैसर्गिक सौंदर्य संसाधनों, खनिज संपदा, वन क्षेत्र एवं जैविक विविधता के लिये मशहूर है । यहां की अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी है यहां की लोक कला संगीत एवं नृत्य विशेष कर पंडवानी देश-विदेश में लोगो का मन आकर्षित करता है। उन्होंने विधायकों को संसदीय गुर बताते हुए कहा कि माननीय सदस्यों की सदन में उपस्थिति नियमित होनी चाहिए, कार्यकर्ता हमारी पूंजी होते है इसलिए पूर्ण प्रतिबद्धता के साथ जनसमस्याओं को सभा में उठाकर उनका निराकरण करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होने कहा कि चौराहे और विधानसभा के सदन में दिये गए भाषण में माननीय सदस्यों को अन्तर करना चाहिए। उन्होने कहा कि सदस्यों को विशेषाधिकार के साथ साथ अपने कर्तव्यों का बोध भी होना चाहिए, माननीय सदस्यों को काम की प्रामाणिकता भी साबित करना आवश्यक होता है। माननीय सदस्यों को विषय की पूरी तैयारी के साथ संदर्भ तैयार कर सदन में पूर्ण तथ्यों के साथ अपनी बात रखनी चाहिए। पुस्तकालय का अधिक से अधिक उपयोग करते हुए एक से अधिक विषय पर विशेषज्ञता हासिल कर सदन में अपनी बात रखनी चाहिए। उन्होने छत्तीसगढ़ विधानसभा के गर्भगृह में आने पर स्वमेव निलंबन के नियम की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे लोकसभा में भी इस तरह के नियम पर विचार करेंगी। अपने उद्बोधन में विधानसभा अध्यक्ष मान. श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि-इस तरह के प्रबोधन कार्यक्रम से जन प्रतिनिधियों के ज्ञान एवं कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। जिससे वे ज्यादा सक्षम, समर्थ एवं क्षमतावान व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठापित होते हैं। उन्होने कहा की संसदीय आचार विचार, संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समक्ष एवं विषयों की विशेषज्ञता से माननीय सदस्य अपने दायित्वों के साथ-साथ जनता की समस्याओं का सम्यक समाधान कर पाने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमत्री भारत रत्न माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के उस उद्गार का स्मरण दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि संसद की महानता तो संसद के अन्दर होने वाले वाद-विवाद की गुणवत्ता और हमारे द्वारा स्थापित अनुशासन और शालीनता की परंपराओं से ही प्राप्त होती है, और कायम रहती है। इसकी महानता तो इसके द्वारा अधिनियमित किये गये प्रगतिशील कानूनों और विषयों पर की गई सार्थक चर्चाओं द्वारा निर्धारित होती है, जिनसे लोगों को लाभ होता है और राष्ट्र के भाग्य का निर्माण होता है। मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने इस अवसर पर अपने उद्बोधन में प्रदेश की 2.5 करोड़ जनता की ओर से लोकसभा अध्यक्ष मान. श्रीमती सुमित्रा महाजन का स्वागत् करते हुए कहा कि उन्होने अपनी लगन एवं निष्ठा से इंदौर के पार्षद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत करते हुए आज देश की सर्वोच्च पंचायत की आसंदी की जिम्मेदारी संभाली है एवं इसका संचालन बखूबी कर रहीं है। उन्होने कहा कि अनुभवी लोगों से ज्ञान की महक चारों और फैलती है। इस तरह के प्रशिक्षण से नए एवं पुराने मान. सदस्यों को उनके संसदीय कार्यो के निर्वहन में लाभ मिलेगा। नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव ने अपने उद्बोधन में कहा कि-इस तरह के आयोजन से नये एवं पुराने दोनों मान. सदस्यों को अनुभवीजनों को सुनने एवं उनसे सीखने का अवसर प्राप्त होगा। इस अवसर पर विधानसभा के प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा ने अपने स्वागत भाषण में अतिथियों का स्वागत करते हुए विधानसभा के 14 वर्षो के कार्यकलापों की उपलब्धियों की जानकारी दी। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष मान. गौरीशंकर अग्रवाल, मान. मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह एवं नेता प्रतिपक्ष श्री टी.एस.सिंहदेव ने मान. लोकसभा अध्यक्ष मान. श्रीमती सुमित्रा का शाल श्रीफल से सम्मान किया एवं उन्हें प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया। अंत में संसदीय कार्यमंत्री श्री अजय चन्द्राकर ने आभार व्यक्त किया। |
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