प्रेस विज्ञप्ति |
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दिनांक 9 अक्टूबर 2014 |
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छत्तीसगढ़ राज्य के प्रत्येक युवा को कौशल विकास के अवसर का अधिकार उपलब्ध कराने के लिए छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा महत्वपूर्ण विधेयक 2013 में पारित किया गया - विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल कैमरून के राष्ट्रकुल संसदीय संघ के सम्मेलन में विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किए |
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कैमरून में सम्पन्न राष्ट्रकुल संसदीय संघ के सम्मेलन में श्री गौरीशंकर अग्रवाल अध्यक्ष छत्तीसगढ़ विधान सभा एवं प्रमुख सचिव श्री देवेन्द्र वर्मा भाग ले रहे हैं।
"युवाओं पर केन्द्रित संपोषणीय विकास में शिक्षा की भूमिका में संसदीय योगदान" विषय पर आयोजित कार्यशाला (संगोष्ठी) में छत्तीसगढ़ विधान सभा के अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल द्वारा विचार व्यक्त करते हुए कहा गया कि भारत देश एवं छत्तीसगढ़ राज्य में युवाओं की संख्या ही अधिक है अतः संपोषणीय विकास के लिए युवाओं पर केन्द्रित योजनायें ही महत्वपूर्ण हैं। श्री अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ विधान सभा के लिए 21 मार्च 2013 को "छत्तीसगढ़ युवाओं के कौशल विकास का अधिकार विधेयक 2013" पारित किया जाना एक ऐतिहासिक संसदीय कार्य निरूपित किया। छत्तीसगढ़ राज्य में निवासरत प्रत्येक युवा को उनकी स्वयं की रूचि के किसी भी व्यवसाय में उनकी पात्रता तथा रूझान के अनुरूप कौशल विकास के अवसर का अधिकार उपलब्ध कराने के लिए उपबंध करने हेतु यह विधेयक पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 38 तथा 41 यह उपबंधित करते हैं कि राज्य को विभिन्न क्षेत्रों में निवासरत जनों एवं विभिन्न व्यवसाय से सम्बद्ध लोगों के वृह्द समूह की न्यूनतम आर्थिक विषमताओं, रहन-सहन की विषमताओं में कमी करने सुविधाएँ एवं अवसर उपलब्ध कराने तथा रोजगार और शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित कराने हेतु प्रभावी उपबंध करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा राज्य है जिसने सर्वप्रथम नागरिकों के लिए कौशल को विधिक अधिकार के रूप में घोषित किया है तथा जिसने अपने 14 से 45 वर्ष के आयु के बीच के नागरिकों को उनकी रूचि के अनुसार कौशल में प्रशिक्षण की मांग करने के इस अधिकार को प्रवर्तनीय बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। विकास में युवाओं की शिक्षा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए श्री गौरीशंकर अग्रवाल अध्यक्ष छत्तीसगढ़ विधान सभा द्वारा कार्यशाला में यह भी कहा गया कि - महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय युवाओं को संपोषणीय विकास के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन करते हैं। अतः भारत देश की नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ राज्य में शैक्षणिक संस्थानों की संख्या में वृद्धि एवं शैक्षणिक गुणवत्ता के स्तर में वृद्धि करने हेतु विशेष रूचि ली जा रही है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि हमारी विधान सभा के गत् जुलाई 2014 मानसून सत्र में पुरःस्थापित एवं पारित 8 विधेयकों में से 5 विधेयक केवल युवाओं के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा से ही संबंधित थे। यह राज्य के युवाओं की शिक्षा के प्रति शासन एवं विधान मण्डल की संसदीय प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
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