प्रेस विज्ञप्ति

दिनांक 8 क्टूबर 2014

सुशासन हेतु 21वीं सदी में इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों एवं सोशल मीडिया पर जोर दिया जाना चाहिए - विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल

- कैमरून के सी.पी.ए. सम्मेलन में विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किए

छत्तीसगढ़ विधान सभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल अफ्रीकी महाद्वीप स्थित याउण्डे (कैमरून) में आयोजित 60वें राष्ट्रकुल संसदीय संघ में भाग ले रहे हैं।

उक्त सम्मेलन में आयोजित कार्यशाला (संगोष्ठी) में उन्होंने 21वीं सदी में सुशासन, पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व की अनिवार्यता विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने महात्मा गांधी की रामराज्य की परिकल्पना तथा भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के "सुशासन" के विषय में "मिनिमम गवर्नमेंट मैक्जिमम गवर्नेंस" के कथन की प्रासंगिकता को स्पष्ट करते हुए सामयिक बातें कहीं। प्रधानमंत्री श्री मोदी का यह दृष्टिकोण कि सुशासन शासन की सुदृढ़ प्रतिबद्धता से ही प्राप्त किया जा सकता है जहां शासन की समस्त नीतियाँ, विधान, नियम एवं कार्यक्रम राष्ट्र के नागरिकों पर केन्द्रित हों। शासन में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्वपूर्ण आचरण से ही सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। जिसमें सामान्य नागरिक की अधिकाधिक सहभागिता सुनिश्चित हो। शासन की विभिन्न गतिविधियों के सम्बन्ध में जन सामान्य भली-भांति संसूचित हो यह सुनिश्चित होना आवश्यक है। वस्तुतः यह किसी भी राष्ट्र के नागरिकों का अधिकार भी है। आज जन सामान्य तथा प्रगति एवं विकास से जुड़े सभी पक्ष शासकीय सूचनाओं एवं प्रक्रिया जनित सेवाओं में सरलीकृत, त्वरित, दक्ष एवं प्रभावी प्रक्रियाओं की आशा रखते हैं। हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि जन सामान्य की भागीदारी एवं उनकी संतुष्टि में सोशल मीडिया की अहम् भूमिका है।

विधान सभा अध्यक्ष ने इस बात पर बल दिया कि प्रजातांत्रिक शासन व्यवस्था में इस 21वीं सदी में प्रजातंत्र एवं सुशासन को सुदृढ़ करने में संसद एवं विधान मण्डलों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है।

उन्होंने सुशासन के अंतर्गत भारत शासन द्वारा ई-गवर्नेंस कार्यक्रम के अंतर्गत किये जा रहे प्रयास एवं छत्तीसगढ़ राज्य में ई-गवर्नेंस के अंतर्गत ई-ग्राम स्वराज, ज्ञान विनिमय आदि संचालित कार्यक्रमों की जानकारी भी दी। सुशासन हेतु 21वीं सदी में लोकतांत्रिक राष्ट्रों में जनप्रतिनिधियों एवं जनसामान्य की भागीदारी के लिए आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यमों, सोशल मीडिया जैसे साधनों का अधिकाधिक उपयोग किये जाने के महत्व को भी प्रतिपादित किया। उल्लेखनीय है कि इस विषय पर विश्व के अन्य राष्ट्राध्यक्षों के साथ ही भारत के विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों ने अपने विचार व्यक्त किए। श्री गौरीशंकर अग्रवाल, अध्यक्ष विधानसभा के विचारों को इस सम्मेलन में बहुत ध्यान से सुना गया तथा तथ्यों की सराहना की गयी।